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दिल्ली बीजेपी की जीत और भारत का चुनाव आयोग, क्या कांग्रेस और AAP करती रही प्रयोग?
Politics

दिल्ली बीजेपी की जीत और भारत का चुनाव आयोग, क्या कांग्रेस और AAP करती रही प्रयोग?

नमस्कार दोस्तों! आज हम बात करेंगे 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के बारे में। इस चुनाव ने दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव लाया है। आइए जानते हैं कि क्या हुआ इस चुनाव में, कैसे बीजेपी ने जीत हासिल की, और भारत के चुनाव आयोग ने कैसे अपनी भूमिका निभाई। बीजेपी की ऐतिहासिक जीत 2025 का दिल्ली विधानसभा चुनाव दिल्ली के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। इस चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 70 सीटों वाली विधानसभा में 47 सीटें जीतीं । यह जीत कई मायनों में खास थी: बीजेपी की जीत के कारण बीजेपी की इस बड़ी जीत के पीछे कई कारण रहे: भारत का चुनाव आयोग और 2025 के दिल्ली चुनाव भारत का चुनाव आयोग 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आइए देखते हैं कि चुनाव आयोग ने किस तरह से इस चुनाव का संचालन किया: कांग्रेस और आप की रणनीतियां 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने अपनी-अपनी रणनीतियां अपनाईं, लेकिन दोनों ही पार्टियां अपने लक्ष्य को हासिल करने में विफल रहीं। आइए देखते हैं कि इन दोनों पार्टियों ने क्या रणनीतियां अपनाईं: कांग्रेस की रणनीति: आप की रणनीति: हालांकि, इन रणनीतियों के बावजूद, दोनों ही पार्टियां अपने लक्ष्य को हासिल करने में विफल रहीं। कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई, जबकि आप को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। चुनाव के परिणाम और उनका प्रभाव 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के परिणामों ने दिल्ली की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू किया है। इन परिणामों का दिल्ली और राष्ट्रीय राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ेगा: निष्कर्ष 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव ने दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। बीजेपी की जीत, आप का पतन, और कांग्रेस का सूपड़ा साफ होना – ये सभी घटनाएं दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में बड़े बदलाव का संकेत देती हैं। इस चुनाव ने यह भी दिखाया कि मतदाता अब सिर्फ मुफ्त सुविधाओं से संतुष्ट नहीं हैं। वे विकास, सुशासन और बेहतर जीवन स्तर की उम्मीद करते हैं। बीजेपी की जीत इस बात का संकेत है कि पार्टी ने मतदाताओं की इन आकांक्षाओं को समझा और उन्हें संबोधित किया। भारत के चुनाव आयोग ने इस पूरी प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आयोग ने सुनिश्चित किया कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न हों। यह भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का प्रमाण है। अंत में, यह चुनाव हमें याद दिलाता है कि लोकतंत्र में परिवर्तन ही एकमात्र स्थिर चीज है। यह जनता की इच्छा का प्रतिबिंब है, और यही लोकतंत्र की असली ताकत है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि नई सरकार दिल्ली के विकास और प्रगति के लिए क्या कदम उठाती है।

Technology

DeepSeek का धमाका: चीन का AI मॉडल कैसे बना दुनिया की नई चिंता?

कुछ ही दिनों पहले लॉन्च हुआ चीन का एआई मॉडल डीपसीक (DeepSeek) वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बन चुका है। यह मॉडल अपने असाधारण प्रदर्शन के कारण न केवल एआई क्षेत्र में बल्कि तकनीकी उद्योग में भी बड़ी हलचल पैदा कर रहा है। कोटक बैंक के संस्थापक उदय कोटक ने इसे एक चेतावनी करार दिया है, जो अन्य देशों के लिए आत्मविश्लेषण का समय लेकर आया है। DeepSeek: वैश्विक स्तर पर दबदबा डीपसीक ने अपनी लॉन्चिंग के तुरंत बाद ऐपल के ऐप स्टोर पर लोकप्रिय एआई चैटबॉट ChatGPT जैसे बड़े नामों को पीछे छोड़ दिया और शीर्ष स्थान हासिल किया। इसकी सफलता ने यह दिखाया कि एआई क्षेत्र में चीन का दबदबा तेजी से बढ़ रहा है। उदय कोटक ने इस पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि डीपसीक चीन की गंभीरता और अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती देने की उसकी महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “चीन ने एआई की दुनिया में अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती देने के लिए डीपसीक के साथ वैश्विक तकनीकी दौड़ को तेज कर दिया है।” कोटक का मानना है कि यह अन्य देशों के लिए भी चेतावनी है कि उन्हें अपनी तकनीकी क्षमता को तेजी से बढ़ाने की जरूरत है। भारत के लिए संकेत हालांकि कोटक ने सीधे तौर पर भारत का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी टिप्पणी में संकेत साफ हैं। भारत और चीन के बीच तकनीकी और आर्थिक प्रतिस्पर्धा कोई नई बात नहीं है। ऐसे में डीपसीक की सफलता भारत के लिए भी एक सीख हो सकती है कि वह अपनी एआई क्षमताओं को और बेहतर बनाए। DeepSeek: क्या है खास? डीपसीक को एक साधारण एआई मॉडल मानना इसकी क्षमता को कम आंकने जैसा होगा। यह न केवल OpenAI के ChatGPT जैसे लोकप्रिय मॉडलों को टक्कर दे रहा है, बल्कि इसे खासतौर पर कोडिंग, गणित और अन्य जटिल समस्याओं को हल करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसके साथ ही, इसकी एक बड़ी विशेषता इसका कम लागत पर उपलब्ध होना है। डीपसीक ने अपने कुछ छोटे वर्जन को ओपन-सोर्स कर दिया है। इसका मतलब यह है कि दुनिया भर के डेवलपर्स और शोधकर्ता इन्हें मुफ्त में इस्तेमाल कर सकते हैं। इस कदम ने इसे और भी लोकप्रिय बना दिया है और वैश्विक स्तर पर इसकी स्वीकार्यता को बढ़ावा दिया है। China का बढ़ता प्रभाव और चुनौतियां डीपसीक का ऐप स्टोर की शीर्ष रैंकिंग पर पहुंचना न केवल इसकी तकनीकी क्षमता को दर्शाता है, बल्कि यह चीन के एआई क्षेत्र में बढ़ते प्रभाव का प्रमाण भी है। यह सफलता तब और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है जब हम अमेरिका द्वारा लगाए गए एडवांस्ड चिप्स के निर्यात प्रतिबंध जैसी चुनौतियों पर गौर करते हैं। इसके बावजूद, चीन यह साबित कर रहा है कि नवाचार और तकनीकी विकास किसी एक क्षेत्र या देश तक सीमित नहीं है। डीपसीक ने दुनिया को यह दिखा दिया है कि बाधाओं को पार करते हुए भी बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। विशेषज्ञों की राय डीपसीक की सफलता पर उद्योग जगत के अन्य दिग्गजों ने भी अपनी राय दी है। मेटा (Meta) के चीफ एआई साइंटिस्ट यान लेकन ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह घटना केवल चीन के एआई क्षेत्र में अमेरिका को पीछे छोड़ने की बात नहीं है। उनका मानना है कि ओपन-सोर्स एआई मॉडल अब मालिकाना (proprietary) मॉडलों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकन ने लिखा, “जो लोग डीपसीक की सफलता को देखकर सोचते हैं कि चीन अमेरिका को पीछे छोड़ रहा है, वे गलत समझ रहे हैं। इसका असली मतलब यह है कि ओपन-सोर्स मॉडल मालिकाना मॉडलों से बेहतर साबित हो रहे हैं।” दूसरी ओर, एआई क्षेत्र में कुछ विशेषज्ञों ने इस पर संदेह भी व्यक्त किया है। क्यूरई (Curai) के सीईओ नील खोसला ने इसे चीन की भू-राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बताया। उन्होंने दावा किया कि डीपसीक की कम कीमत अमेरिकी एआई उद्योग को नुकसान पहुंचाने की एक योजना हो सकती है। खोसला ने लिखा, “डीपसीक एक चीनी सामरिक चाल (CCP स्टेट साइऑप) हो सकता है, जिसका उद्देश्य अमेरिकी एआई कंपनियों को आर्थिक रूप से कमजोर करना है। वे नकली कम लागत दिखाकर बाजार में दबाव बना सकते हैं।” दुनिया के लिए सबक डीपसीक की सफलता कई स्तरों पर महत्वपूर्ण संदेश देती है। यह केवल तकनीकी प्रगति का मामला नहीं है, बल्कि यह वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में नए अध्याय की शुरुआत भी है। उदय कोटक के विचार इस बात को स्पष्ट करते हैं कि एआई और तकनीकी विकास केवल एक देश तक सीमित नहीं है। यह वह क्षेत्र है, जहां नवाचार और तेजी से विकास करने की क्षमता किसी भी देश को वैश्विक शक्ति बना सकती है। भारत जैसे देशों के लिए डीपसीक की सफलता से यह सीखने का समय है कि तकनीकी विकास में निवेश और तेजी लाना कितना महत्वपूर्ण है। अगर अन्य देश इस प्रतिस्पर्धा में पीछे रह गए, तो एआई जैसी क्रांतिकारी तकनीकों में उनका योगदान सीमित रह जाएगा। Conclusion : डीपसीक का उदय एआई क्षेत्र में एक बड़ी घटना है। यह न केवल चीन की तकनीकी क्षमता को दर्शाता है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर अमेरिका जैसे देशों के लिए भी एक चुनौती बन गया है। इसके साथ ही, अन्य देशों को भी इस प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति मजबूत करने की जरूरत है। उद्योगपति उदय कोटक की यह टिप्पणी कि “यह समय है कि अन्य महत्वाकांक्षी देश इस खेल को आगे बढ़ाएं,” केवल एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है। अब देखना यह है कि अन्य देश, विशेषकर भारत, इस चुनौती को किस तरह लेते हैं और अपने तकनीकी भविष्य को कैसे सुरक्षित करते हैं।

नायब सिंह सैनी का जन्मदिन: एक प्रेरणादायक नेता का जीवन और योगदान
Politics

नायब सिंह सैनी का जन्मदिन: एक प्रेरणादायक नेता का जीवन और योगदान

हर साल 25 जनवरी को हम नायब सिंह सैनी का जन्मदिन मनाते हैं, जो न केवल एक समाजसेवी और राजनीतिज्ञ हैं, बल्कि एक प्रेरणास्त्रोत भी हैं। उनका जीवन और उनके कार्य न केवल उनकी पार्टी के समर्थकों के लिए, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। नायब सिंह सैनी का योगदान भारतीय राजनीति और समाज के उत्थान में महत्वपूर्ण है, और उनके कार्यों ने उन्हें एक प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित किया है। नायब सिंह सैनी का प्रारंभिक जीवन नायब सिंह सैनी का जन्म 25 जनवरी 1963 को हरियाणा राज्य के महेन्द्रगढ़ जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनका पालन-पोषण एक सामान्य किसान परिवार में हुआ, जहां उन्होंने बचपन में ही संघर्ष और कठिनाइयों का सामना किया। उनके माता-पिता ने उन्हें शिक्षा की अहमियत समझाई और यही शिक्षा उनके जीवन की दिशा निर्धारित करने में मददगार साबित हुई। स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद, नायब सिंह सैनी ने राजनीति में अपनी रुचि दिखाई। उन्होंने अपनी शिक्षा के दौरान ही यह समझ लिया था कि समाज में बदलाव लाने के लिए राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाना बेहद जरूरी है। नायब सिंह सैनी का राजनीतिक Carrier नायब सिंह सैनी का राजनीतिक सफर 1990 के दशक में शुरू हुआ। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़कर राजनीति में कदम रखा। उनकी मेहनत और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें धीरे-धीरे पार्टी में महत्वपूर्ण स्थान दिलवाया। सैनी जी की पहचान एक ऐसे नेता के रूप में बनी जो न केवल अपनी पार्टी के लिए काम करते थे, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए कार्यरत रहते थे। वह हरियाणा के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने में सफल रहे, और इसके बाद उनकी लोकप्रियता और बढ़ी। सैनी जी ने कई महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए न केवल अपनी पार्टी को मजबूत किया, बल्कि समाज के गरीब और पिछड़े वर्गों के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि विकास की बयार हर वर्ग तक पहुंचे और समाज में कोई भी व्यक्ति पीछे न रह जाए। समाज सेवा में योगदान नायब सिंह सैनी के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू उनका समाज सेवा के प्रति समर्पण है। उन्होंने हमेशा समाज के कमजोर वर्गों, खासकर दलितों और पिछड़ों के लिए काम किया। सैनी जी ने अपनी राजनीति को लोगों की भलाई के लिए एक मंच के रूप में उपयोग किया। उनकी कई योजनाओं और कार्यक्रमों ने समाज में बदलाव लाने में मदद की। न केवल उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के लिए काम किया, बल्कि उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए भी कई योजनाओं की शुरुआत की। उनके नेतृत्व में, हरियाणा राज्य में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन हुआ, जो अब तक जनता को लाभ प्रदान कर रही हैं। शिक्षा के क्षेत्र में योगदान नायब सिंह सैनी का मानना था कि शिक्षा किसी भी समाज के विकास का मूल है। इसलिए उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहल की। उन्होंने स्कूलों और कॉलेजों के निर्माण में मदद की, विशेषकर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में। उनका उद्देश्य था कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे, और हर बच्चे को समान अवसर मिले। उनकी शिक्षा संबंधी नीतियां और योजनाएं आज भी उनकी विरासत के रूप में जानी जाती हैं। उन्होंने समाज के हर वर्ग को समान शिक्षा देने के लिए कई योजनाएं बनाई, जिससे समाज में शिक्षा का स्तर बढ़ा और बेरोजगारी कम हुई। महिलाओं के उत्थान के लिए काम नायब सिंह सैनी ने महिलाओं के उत्थान के लिए भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनका मानना था कि समाज का सही विकास तभी हो सकता है जब महिलाओं को बराबरी का दर्जा मिले। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं का संचालन किया। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों के प्रति भी अपनी चिंता जताई और इसके लिए कड़े कानून बनाने की जरूरत पर जोर दिया। उनके कार्यों ने महिलाओं के लिए नए अवसर खोले, और समाज में महिलाओं की स्थिति को मजबूत किया। पर्यावरण संरक्षण में योगदान नायब सिंह सैनी ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी समझा। उन्होंने राज्य में वृक्षारोपण अभियान शुरू किया, जिससे न केवल हरियाणा राज्य का पर्यावरण सुधरा, बल्कि लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ी। उनका मानना था कि जब तक हम अपने पर्यावरण को बचाएंगे नहीं, तब तक किसी भी प्रकार के विकास का कोई अर्थ नहीं है। नेतृत्व और प्रेरणा नायब सिंह सैनी का जीवन और उनका कार्य राजनीति, समाज सेवा और नेतृत्व के एक आदर्श रूप को प्रस्तुत करता है। उनके द्वारा उठाए गए कदमों और उनकी नीतियों ने उन्हें एक सम्मानित और प्रेरणादायक नेता बना दिया है। उनका विश्वास हमेशा समाज के हर वर्ग के कल्याण में रहा, और उन्होंने अपने जीवन में यह साबित किया कि एक नेता का असली कार्य जनता की सेवा करना होता है। Conclusion : नायब सिंह सैनी का जन्मदिन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि उनके जीवन के उन सिद्धांतों और कार्यों का सम्मान है, जिन्होंने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद की। उनकी मेहनत, समर्पण और नेतृत्व ने उन्हें समाज में एक विशेष स्थान दिलाया है। आज के दिन, हम न केवल उनके योगदान को याद करते हैं, बल्कि उनके आदर्शों को अपनाकर एक बेहतर समाज बनाने की दिशा में भी कदम बढ़ाते हैं। उनकी प्रेरणा हमें यह सिखाती है कि अगर हम समाज के लिए ईमानदारी से काम करें, तो किसी भी कठिनाई का सामना करना आसान हो जाता है। उनके योगदान का प्रभाव हमेशा महसूस किया जाएगा, और उनका जीवन हर किसी के लिए प्रेरणा का एक स्रोत बना रहेगा।

सुभाष चंद्र बोस जयंती: भारत के महान नेता और आज़ादी के प्रतीक की कहानी
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Subhas Chandra Bose जयंती: भारत के महान नेता और आज़ादी के प्रतीक की कहानी

सुभाष चंद्र बोस जयंती भारत में एक महत्वपूर्ण अवसर है, जब देश उस महान नेता को याद करता है, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। सुभाष चंद्र बोस, जिन्हें “नेताजी” के नाम से जाना जाता है, भारतीय इतिहास में एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने अपने अद्वितीय नेतृत्व, अडिग साहस और अप्रतिम देशभक्ति से भारत की आज़ादी के आंदोलन को प्रेरित किया। प्रारंभिक जीवन और शिक्षा ( Education ) सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। उनके पिता जानकीनाथ बोस एक प्रतिष्ठित वकील थे और माता प्रभावती देवी एक धार्मिक महिला थीं। बचपन से ही सुभाष चंद्र बोस का झुकाव राष्ट्रभक्ति और भारतीय संस्कृति की ओर था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कटक में प्राप्त की और इसके बाद कलकत्ता विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातक किया। सुभाष ने भारतीय सिविल सेवा (ICS) की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया, जो उस समय भारतीय युवाओं के लिए सबसे प्रतिष्ठित उपलब्धि मानी जाती थी। लेकिन ब्रिटिश शासन के अधीन कार्य करना उनके आदर्शों के खिलाफ था। इसलिए, उन्होंने 1921 में ICS की नौकरी छोड़ दी और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए। आज़ादी के आंदोलन में योगदान सुभाष चंद्र बोस ने स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरुआत की। हालांकि, उनके विचार और गांधीजी के अहिंसा के सिद्धांत में मतभेद था। सुभाष चंद्र बोस का मानना था कि केवल सशस्त्र संघर्ष से ही भारत को आज़ादी मिल सकती है। उनकी यह सोच उन्हें कांग्रेस के अन्य नेताओं से अलग करती थी। 1938 और 1939 में, सुभाष चंद्र बोस को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। उन्होंने हरिपुरा और त्रिपुरी अधिवेशन में अपने विचारों को प्रखरता से प्रस्तुत किया। लेकिन गांधीजी और अन्य नेताओं के साथ मतभेद के चलते उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और “फॉरवर्ड ब्लॉक” नामक एक नया संगठन बनाया। आज़ाद हिंद फौज का गठन (  Azad Hind Fauj ) सुभाष चंद्र बोस का मानना था कि भारतीय स्वतंत्रता को ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष से ही हासिल किया जा सकता है। इसी उद्देश्य से उन्होंने “आज़ाद हिंद फौज” (Indian National Army) का गठन किया। उन्होंने इस सेना को “दिल्ली चलो” के नारे के साथ प्रेरित किया। सुभाष चंद्र बोस ने अपने सैनिकों को नारा दिया “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा”, जिसने भारतीय जनता में जोश और उमंग भर दी। आज़ाद हिंद फौज ने जापान और जर्मनी के सहयोग से ब्रिटिश सेना के खिलाफ कई मोर्चों पर संघर्ष किया। हालांकि यह आंदोलन पूरी तरह से सफल नहीं हो सका, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई ऊर्जा दी। सुभाष चंद्र बोस की विचारधारा सुभाष चंद्र बोस की विचारधारा में राष्ट्रवाद, आत्मनिर्भरता, और संपूर्ण स्वराज की झलक मिलती है। वे एक ऐसे नेता थे जो सभी धर्मों और जातियों को एकजुट करके भारत को स्वतंत्र देखना चाहते थे। उन्होंने समाज के हर वर्ग को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ने की कोशिश की। उनके लिए स्वतंत्रता केवल एक राजनीतिक उद्देश्य नहीं था, बल्कि यह भारतीय जनता की आत्मा और स्वाभिमान का प्रश्न था। नेताजी की रहस्यमय मृत्यु 18 अगस्त 1945 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक विमान दुर्घटना में मृत्यु होने की खबर आई। लेकिन उनकी मृत्यु आज भी रहस्य बनी हुई है। कई लोग मानते हैं कि नेताजी उस दुर्घटना में मारे नहीं गए थे और वे गुप्त रूप से किसी मिशन पर थे। उनकी मृत्यु के रहस्य ने उन्हें एक अमर नायक बना दिया। सुभाष चंद्र बोस जयंती का महत्व सुभाष चंद्र बोस जयंती हर साल 23 जनवरी को पूरे देश में मनाई जाती है। इस दिन को “पराक्रम दिवस” के रूप में भी मनाया जाता है। यह दिन हमें उनके साहस, दृढ़ता और बलिदान को याद करने का अवसर प्रदान करता है। भारत के युवाओं को सुभाष चंद्र बोस की जीवनगाथा से प्रेरणा लेनी चाहिए और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। नेताजी के योगदान की विरासत सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जो योगदान दिया, वह भारतीय इतिहास का एक सुनहरा अध्याय है। उन्होंने भारतीय जनता को यह सिखाया कि स्वतंत्रता के लिए कोई भी बलिदान छोटा नहीं होता। उनकी आज़ाद हिंद फौज ने यह साबित कर दिया कि अगर भारतीय एकजुट हो जाएं, तो वे किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। Conclusion : सुभाष चंद्र बोस न केवल एक महान नेता थे, बल्कि वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक भी थे। उनका जीवन त्याग, साहस और समर्पण का उदाहरण है। उनकी जयंती केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमें अपने देश के प्रति कर्तव्यनिष्ठ बनने और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देती है। नेताजी की विचारधारा और उनके योगदान को याद रखना हमारी जिम्मेदारी है, ताकि आने वाली पीढ़ियां उनकी बलिदानी गाथा से प्रेरणा ले सकें।

रियलमी 14 प्रो सीरीज 5G: नए लुक और दमदार फीचर्स के साथ हुआ धमाकेदार लॉन्च!
Technology

रियलमी 14 प्रो सीरीज 5G: नए लुक और दमदार फीचर्स के साथ हुआ धमाकेदार लॉन्च!

भारतीय स्मार्टफोन बाजार में लगातार नई तकनीकों और अत्याधुनिक फीचर्स के साथ प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है। इस दौड़ में रियलमी ने एक बार फिर अपनी स्थिति को मजबूत करते हुए रियलमी 14 प्रो सीरीज 5G को लॉन्च किया है। यह सीरीज अत्याधुनिक डिजाइन, पावरफुल परफॉर्मेंस और इनोवेटिव फीचर्स के साथ स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं को एक बेहतरीन अनुभव देने का वादा करती है। आइए इस स्मार्टफोन सीरीज के प्रमुख फीचर्स, डिज़ाइन, कैमरा, बैटरी और परफॉर्मेंस के बारे में विस्तार से जानें।    डिज़ाइन और डिस्प्ले रियलमी 14 प्रो सीरीज 5G को प्रीमियम डिज़ाइन के साथ पेश किया गया है, जो इसे आकर्षक बनाता है। इस स्मार्टफोन में 6.77-इंच का कर्व्ड OLED डिस्प्ले दिया गया है, जो 120Hz रिफ्रेश रेट के साथ आता है। वहीं, 14 प्रो+ मॉडल में 6.83-इंच क्वाड-कर्व्ड OLED डिस्प्ले है, जिसमें 1.5K रेजोल्यूशन और 120Hz का रिफ्रेश रेट मिलता है। इस सीरीज की सबसे अनोखी खासियत इसका कोल्ड-सेंसिटिव कलर-चेंजिंग बैक पैनल है, जिसे स्कैंडिनेवियाई डिज़ाइन स्टूडियो Valeur Designers के साथ मिलकर तैयार किया गया है। यह पैनल ठंडे तापमान (16°C से कम) में रंग बदलता है, जिससे फोन को एक प्रीमियम लुक और फील मिलती है। परफॉर्मेंस और प्रोसेसर रियलमी 14 प्रो 5G और 14 प्रो+ 5G, दोनों ही स्मार्टफोन दमदार हार्डवेयर के साथ आते हैं। फोन में 8GB/12GB तक की रैम और 128GB/256GB तक की स्टोरेज दी गई है, जो यूजर्स को स्मूथ एक्सपीरियंस प्रदान करती है। कैमरा क्षमताएं कैमरा सेक्शन में रियलमी 14 प्रो सीरीज 5G शानदार फोटोग्राफी क्षमताएं प्रदान करती है। सेल्फी और वीडियो कॉलिंग के लिए फोन में 32MP का फ्रंट कैमरा दिया गया है, जो एआई-बेस्ड फीचर्स के साथ आता है। बैटरी और चार्जिंग लंबे समय तक उपयोग के लिए, रियलमी 14 प्रो सीरीज 5G में 6000mAh की बड़ी बैटरी दी गई है। यह बैटरी उपयोगकर्ताओं को दिनभर का बैकअप प्रदान करती है, चाहे आप गेमिंग कर रहे हों या सोशल मीडिया ब्राउज़िंग। इसके साथ ही, फोन में 80W SuperVOOC फास्ट चार्जिंग दी गई है, जो फोन को कुछ ही मिनटों में फुल चार्ज कर देती है। सॉफ़्टवेयर और यूज़र इंटरफेस रियलमी 14 प्रो सीरीज 5G Android 14 आधारित Realme UI 5.0 पर चलती है, जो एक सहज और उपयोगकर्ता-अनुकूल अनुभव प्रदान करता है। नया UI बेहतर कस्टमाइजेशन विकल्प, एडवांस्ड प्राइवेसी फीचर्स और स्मूथ एनिमेशन के साथ आता है। कनेक्टिविटी और सुरक्षा यह स्मार्टफोन सभी प्रमुख 5G बैंड्स को सपोर्ट करता है, जिससे यूजर्स को हाई-स्पीड इंटरनेट का अनुभव मिलेगा। इसके अलावा, फोन में इन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट स्कैनर और फेस अनलॉक जैसे आधुनिक सुरक्षा फीचर्स दिए गए हैं। डस्ट और वॉटर रेसिस्टेंस रियलमी 14 प्रो सीरीज 5G को IP66, IP68 और IP69 सर्टिफिकेशन प्राप्त है, जो इसे धूल और पानी से सुरक्षित बनाता है। फोन को पानी की बौछारों और आकस्मिक गिरावट से बचाने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है। मूल्य और उपलब्धता रियलमी 14 प्रो सीरीज 5G भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उपलब्ध है। इन स्मार्टफोन्स को Realme की आधिकारिक वेबसाइट, प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स और ऑफलाइन स्टोर्स से खरीदा जा सकता है। निष्कर्ष रियलमी 14 प्रो सीरीज 5G एक बेहतरीन विकल्प है, जो प्रीमियम डिज़ाइन, दमदार कैमरा, शक्तिशाली बैटरी और नवीनतम तकनीक से लैस है। यह स्मार्टफोन उन उपयोगकर्ताओं के लिए आदर्श है, जो स्टाइलिश लुक के साथ हाई-परफॉर्मेंस की उम्मीद करते हैं। अगर आप एक ऐसा स्मार्टफोन खरीदना चाहते हैं, जो हर क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करे, तो रियलमी 14 प्रो सीरीज 5G निश्चित रूप से एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है।

गायक दर्शन रावल ने अपनी बचपन की दोस्त धारल सुरेलिया से रचाई शादी
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गायक Darshan Raval ने अपनी बचपन की दोस्त Dharal Surelia से रचाई शादी

प्रसिद्ध गायक दर्शन रावल ने 18 जनवरी 2025 को अपनी बचपन की दोस्त धारल सुरेलिया से शादी रचा ली। यह खबर सोशल मीडिया पर आते ही उनके प्रशंसकों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई। दोनों की शादी की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। दर्शन रावल की शादी की खबर दर्शन रावल, जो अपनी सुरीली आवाज़ और रोमांटिक गानों के लिए जाने जाते हैं, ने अपने फैंस के साथ अपनी शादी की खबर साझा की। उन्होंने अपनी शादी की कुछ खूबसूरत तस्वीरें इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा कीं, जिसमें वे और उनकी पत्नी धारल सुरेलिया बेहद खुश नजर आ रहे हैं। धारल सुरेलिया कौन हैं? धारल सुरेलिया एक प्रसिद्ध आर्किटेक्ट और डिजाइनर हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा आर्किटेक्चर और डिजाइनिंग के क्षेत्र में प्रतिष्ठित संस्थानों से पूरी की है। धारल एक सफल व्यवसायी हैं और वे एक डिजाइन फर्म ‘बटर कॉन्सेप्ट्स’ की संस्थापक भी हैं। उनकी रुचि आर्ट और क्रिएटिव डिजाइनिंग में है, और उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से इस क्षेत्र में अपना एक अलग मुकाम हासिल किया है। शादी का आयोजन दर्शन रावल और धारल सुरेलिया की शादी एक पारंपरिक गुजराती रीति-रिवाजों के साथ सम्पन्न हुई। शादी का आयोजन एक भव्य स्थान पर किया गया, जिसमें परिवार और करीबी दोस्तों की मौजूदगी रही। शादी समारोह में दर्शन ने सफेद शेरवानी पहनी थी, जबकि धारल लाल रंग के खूबसूरत लहंगे में नजर आईं। दोनों की जोड़ी को देखकर फैंस ने सोशल मीडिया पर उनकी खूब सराहना की। सोशल मीडिया पर Reactions दर्शन रावल और धारल सुरेलिया की शादी की खबर सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर बधाइयों का तांता लग गया। फैंस ने ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर उनके नए जीवन की शुभकामनाएं दीं। बॉलीवुड और म्यूजिक इंडस्ट्री के कई जाने-माने कलाकारों ने भी उन्हें शादी की बधाई दी। Fans की प्रतिक्रिया दर्शन रावल के फैंस ने उनकी शादी को लेकर खुशी जाहिर की। कई लोगों ने उनके गानों के जरिए अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। दर्शन के लोकप्रिय गानों जैसे “एक तरफा,” “तू मिला तो सही,” और “तेरा जिक्र” को लेकर फैंस ने पोस्ट साझा किए और उनके नए जीवन की शुरुआत को लेकर उत्साहित दिखे। दर्शन रावल का Carrier दर्शन रावल ने अपने करियर की शुरुआत म्यूजिक रियलिटी शो से की थी और उसके बाद वे तेजी से लोकप्रियता की सीढ़ियां चढ़ते गए। उन्होंने बॉलीवुड, पंजाबी, गुजराती और बंगाली संगीत उद्योग में भी अपनी पहचान बनाई है। उनके रोमांटिक और सैड सॉन्ग्स युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। उनके गानों को मिलियन व्यूज मिलते हैं और वे सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग में रहते हैं। शादी के बाद की योजनाएं ( After Marriage Rituals ) शादी के बाद दर्शन रावल और धारल सुरेलिया अपने प्रोफेशनल करियर को लेकर भी गंभीर हैं। दर्शन नए गानों पर काम कर रहे हैं और धारल भी अपने डिज़ाइनिंग प्रोजेक्ट्स पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। दोनों ने शादी के बाद एक हनीमून डेस्टिनेशन चुनने के बारे में अब तक कोई खुलासा नहीं किया है। Conclusion : दर्शन रावल और धारल सुरेलिया की शादी एक प्यारा और खास पल है, जो उनके फैंस के लिए भी खुशी का विषय बन गया है। दोनों ने बचपन की दोस्ती को शादी में बदलकर यह साबित कर दिया कि सच्चा प्यार समय के साथ और गहरा हो जाता है। फैंस को अब दर्शन के आने वाले गानों और उनके नए जीवन के बारे में अधिक जानकारी मिलने की उम्मीद है। दर्शन और धारल को उनके नए जीवन की ढेरों शुभकामनाएं!

सेंसेक्स में 1,200 अंकों की भारी गिरावट: कारण, प्रभाव और निवेशकों के लिए सुझाव
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सेंसेक्स में 1,200 अंकों की भारी गिरावट: कारण, प्रभाव और निवेशकों के लिए सुझाव

आज भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट देखी गई, जहां सेंसेक्स 1,200 अंकों से अधिक टूटकर 83,000 के स्तर तक फिसल गया। निफ्टी और अन्य सेक्टोरल इंडेक्स में भी महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई। इस अचानक आई गिरावट ने निवेशकों के मन में चिंता उत्पन्न कर दी है। आइए जानते हैं इस गिरावट के प्रमुख कारण, इसके प्रभाव और निवेशकों के लिए संभावित रणनीतियाँ। गिरावट के प्रमुख कारण: सेंसेक्स और निफ्टी का प्रदर्शन: आज की गिरावट में प्रमुख संवेदी सूचकांकों ने निम्नलिखित प्रदर्शन किया: सेक्टोरल प्रदर्शन: भारतीय शेयर बाजार के विभिन्न सेक्टरों में भी गिरावट देखने को मिली। प्रमुख सेक्टरों का प्रदर्शन इस प्रकार रहा: बाजार में गिरावट का प्रभाव: निवेशकों के लिए सुझाव: निष्कर्ष: भारतीय शेयर बाजार में आज देखी गई गिरावट कई वैश्विक और घरेलू कारकों का परिणाम है। हालांकि, इस तरह की गिरावटें बाजार की स्वाभाविक प्रक्रिया का हिस्सा हैं। निवेशकों को सतर्क रहते हुए लंबी अवधि के निवेश में विश्वास बनाए रखना चाहिए। समय के साथ बाजार में स्थिरता लौटने की संभावना बनी हुई है। इसलिए, बुद्धिमानी से निवेश करने और सही रणनीति अपनाने से निवेशक इस अस्थिरता का लाभ उठा सकते हैं और अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

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स्काई फोर्स: 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की गाथा, वीरता और बलिदान की प्रेरक कहानी

भारतीय फिल्म उद्योग हमेशा वास्तविक जीवन की घटनाओं के इर्द-गिर्द आकर्षक कथाएँ बुनने में माहिर रहा है, और आने वाली फिल्म स्काई फोर्स इसका एक शानदार उदाहरण बनने के लिए तैयार है। 24 जनवरी, 2025 को रिलीज़ होने वाली इस फिल्म का निर्देशन संदीप केवलानी और अभिषेक अनिल कपूर ने किया है और इसे मैडॉक फिल्म्स और जियो स्टूडियो के बैनर तले बनाया गया है। सच्ची घटनाओं से प्रेरित यह एक्शन से भरपूर ड्रामा दर्शकों को बहादुरी, बलिदान और विजय की यात्रा पर ले जाने का वादा करता है, जो 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारत के पहले और सबसे घातक हवाई हमले पर केंद्रित है। वीरता में निहित एक कहानी स्काई फोर्स भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण लेकिन कम ज्ञात अध्याय- पाकिस्तान के सरगोधा एयरबेस पर जवाबी हवाई हमले पर आधारित है। कथा भारतीय वायु सेना की रणनीतिक प्रतिभा और बेजोड़ साहस को दर्शाती है, जिसमें दिखाया गया है कि कैसे समर्पित वायु योद्धाओं की एक छोटी सी टीम ने एक ऐसे मिशन को अंजाम दिया जिसने युद्ध की दिशा बदल दी। यह सिनेमाई पुनर्कथन न केवल मनोरंजन करने का प्रयास करता है, बल्कि अपने दर्शकों के बीच गर्व और देशभक्ति की भावना को भी प्रेरित करता है। यह फिल्म विंग कमांडर के.ओ. आहूजा के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसका किरदार अक्षय कुमार ने निभाया है, जिसका दृढ़ निश्चयी और रणनीतिक नेता का चित्रण दर्शकों को गहराई से प्रभावित करेगा। उनके साथ वीर पहाड़िया हैं, जो टी. विजया का किरदार निभा रहे हैं, जो एक नौसिखिया पायलट है, जिसकी आशंका से वीरता तक की यात्रा एक महत्वपूर्ण उपकथानक बनाती है। सहायक कलाकारों में सारा अली खान, निमरत कौर, शरद केलकर, मोहित चौहान और मनीष चौधरी शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक ने कथा में गहराई और आयाम जोड़ा है। असाधारण प्रदर्शन और गतिशील चरित्र भारतीय वीरता का जश्न मनाने वाली फिल्मों के साथ अक्षय कुमार का जुड़ाव अच्छी तरह से प्रलेखित है, और स्काई फोर्स इस विरासत को जारी रखती है। विंग कमांडर आहूजा के रूप में उनके किरदार में गंभीरता और आकर्षण का मिश्रण है, जो इस किरदार को भरोसेमंद और महत्वाकांक्षी दोनों बनाता है। वीर पहारिया, अपनी पहली भूमिका में, टी. विजया के रूप में एक सम्मोहक प्रदर्शन देने के लिए तैयार हैं, जो अपने कमांडिंग ऑफिसर के मार्गदर्शन में एक नौसिखिए से एक अनुभवी पायलट में परिवर्तन को दर्शाता है। महिला प्रधान, सारा अली खान और निमरत कौर, कहानी में भावनात्मक गहराई जोड़ती हैं, जो उन लोगों की ताकत और लचीलापन दर्शाती हैं जो अपने प्रियजनों का समर्थन करते हैं। उनके किरदार न केवल सैनिकों द्वारा बल्कि उनके परिवारों द्वारा किए गए बलिदानों को भी रेखांकित करते हैं। निर्देशन और निर्माण उत्कृष्टता निर्देशक संदीप केवलानी और अभिषेक अनिल कपूर ने ऐतिहासिक सटीकता को सिनेमाई नाटक के साथ संतुलित करने की चुनौती ली है। उनका विजन हवाई युद्ध की तीव्रता और जटिलता को जीवंत करता है, जो युद्ध के भावनात्मक दांव के साथ संयुक्त है। प्रोडक्शन डिज़ाइन सावधानीपूर्वक उस युग को फिर से बनाता है, जो दर्शकों को प्रामाणिक सेट, वेशभूषा और दृश्यों के माध्यम से 1960 के दशक में डुबो देता है। फिल्म के हाई-ऑक्टेन एक्शन सीक्वेंस मुख्य आकर्षण होने की उम्मीद है। सटीकता के साथ कोरियोग्राफ किए गए और अत्याधुनिक विज़ुअल इफ़ेक्ट द्वारा समर्थित हवाई डॉगफ़ाइट्स, एड्रेनालाईन-पंपिंग अनुभव देने का वादा करते हैं। सिनेमैटोग्राफी आसमान की विशालता और कॉकपिट के क्लॉस्ट्रोफ़ोबिया को समान रूप से बेहतरीन तरीके से कैप्चर करती है, जो कहानी के लिए एक शानदार और भावनात्मक रूप से गूंजने वाली पृष्ठभूमि बनाती है। एक ऐसा साउंडट्रैक जो दिल को छू जाता है भारतीय सिनेमा में संगीत ने हमेशा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और स्काई फ़ोर्स इसका अपवाद नहीं है। तनिष्क बागची द्वारा रचित साउंडट्रैक में भावपूर्ण एंथम और भावपूर्ण धुनों का मिश्रण है। मनोज मुंतशिर, इरशाद कामिल और श्लोक लाल के बोल गीतों की भावनात्मक गूंज को और बढ़ाते हैं। एल्बम का स्टैंडआउट ट्रैक प्रतिष्ठित 1963 के गीत “ऐ मेरे वतन के लोगों” का एक आधुनिक संस्करण है, जिसे भारत के बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि के रूप में शामिल किया गया है। “माये”, “क्या मेरी याद आती है” और “रंग” जैसे अन्य ट्रैक फिल्म के प्रेम, बलिदान और देशभक्ति के विषयों को दर्शाते हैं। क्रमिक रूप से रिलीज़ किए गए इन गीतों ने पहले ही दर्शकों के दिलों को छूना शुरू कर दिया है, जिससे फिल्म के लिए उत्सुकता बढ़ गई है। देशभक्ति और सिनेमाई प्रभाव अपने मूल में, स्काई फ़ोर्स सिर्फ़ एक युद्ध फ़िल्म नहीं है; यह लचीलेपन और टीमवर्क का जश्न है। कहानी भारतीय वायु सेना के गुमनाम नायकों पर प्रकाश डालती है, जिनके साहस और दृढ़ संकल्प ने ऐतिहासिक जीत का मार्ग प्रशस्त किया। बड़े रणनीतिक अभियानों के साथ-साथ व्यक्तिगत संघर्षों और जीत पर ध्यान केंद्रित करके, फिल्म युद्ध और उसके प्रभाव का एक बहुआयामी चित्रण बनाती है। भारत के गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर रिलीज़ का समय इसकी देशभक्ति की अपील को और मजबूत करता है। यह रणनीतिक विकल्प सुनिश्चित करता है कि फिल्म का संदेश दर्शकों के साथ गूंजता रहे, जो देश की स्वतंत्रता और सुरक्षा के लिए किए गए बलिदानों की याद दिलाता है। उम्मीदें और इंडस्ट्री की चर्चा रिलीज़ से पहले ही स्काई फ़ोर्स ने इंडस्ट्री में काफ़ी चर्चा बटोरी है। फ़िल्म के ट्रेलर में, जिसमें तीव्र हवाई दृश्य और दमदार अभिनय दिखाया गया है, ने काफ़ी प्रशंसा बटोरी है। प्रशंसकों और आलोचकों को फ़िल्म से काफ़ी उम्मीदें हैं, वे इसे युद्ध फ़िल्मों की शैली में संभावित गेम-चेंजर के रूप में देख रहे हैं।

बिहार की राजनीति: 2024 से सबक और 2025 के मिशन में ‘R’ पर फोकस, NDA का राजपूत वोटरों पर बड़ा दांव
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बिहार की राजनीति: 2024 से सबक और 2025 के मिशन में ‘R’ पर फोकस, NDA का राजपूत वोटरों पर बड़ा दांव

बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण का महत्व कभी खत्म नहीं हुआ। यह सच्चाई है कि राज्य के राजनीतिक दल चुनावी मैदान में उतरने से पहले जातीय समीकरणों को मजबूत करने की रणनीति बनाते हैं। बिहार में एक बार फिर एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की नजर अपने परंपरागत राजपूत वोट बैंक पर है। 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में यह तबका एनडीए से थोड़ा छिटक गया था। 2025 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए एनडीए ने अब इसे अपने पक्ष में लाने की कवायद शुरू कर दी है। राजपूत वोटरों का महत्व और एनडीए की रणनीति बिहार में जातिगत गणना के अनुसार, राजपूत समुदाय की आबादी लगभग 3.5 प्रतिशत है। हालांकि, यह वर्ग राजनीतिक रूप से बेहद प्रभावशाली माना जाता है। राजपूत वोटरों की भूमिका राज्य की कई सीटों पर निर्णायक होती है। लोकसभा चुनाव 2019 और 2024 में कुछ सीटों पर राजपूत वोटरों की नाराजगी के चलते एनडीए को हार का सामना करना पड़ा था। इनमें बक्सर, आरा, औरंगाबाद और काराकाट जैसी सीटें प्रमुख रहीं। एनडीए के सामने चुनौती यह है कि विधानसभा चुनाव 2025 में ऐसी नाराजगी दोबारा न हो। इसके लिए एनडीए ने ‘मिशन राजपूत’ अभियान शुरू किया है। इसका उद्देश्य इस समुदाय को अपनी ओर फिर से आकर्षित करना है। एनडीए को इस बार आरजेडी में चल रही उठापटक से भी एक मौका मिला है, जिसका फायदा वह उठाने की पूरी कोशिश कर रहा है। जगदानंद सिंह और आरजेडी की दुविधा आरजेडी में वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह के प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने की चर्चाओं ने एनडीए को मौका दे दिया है। आरजेडी में जगदानंद सिंह के अलावा कोई बड़ा राजपूत चेहरा नहीं है। हाल ही में आरजेडी के राष्ट्रीय सम्मेलन में जगदानंद सिंह की अनुपस्थिति ने इन अटकलों को और बल दिया। इस राजनीतिक खालीपन का फायदा उठाकर एनडीए राजपूत वोटरों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहा है। राजपूत वोटरों को साधने के लिए सांकेतिक आयोजन एनडीए ने हाल के दिनों में राजपूत समुदाय को लुभाने के लिए कई प्रतीकात्मक कदम उठाए हैं। जेडीयू एमएलसी संजय सिंह के आवास पर आयोजित महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि का कार्यक्रम इसका बड़ा उदाहरण है। इस आयोजन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत कई राजपूत नेता मंच पर मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान यह संदेश दिया गया कि नीतीश कुमार भी महाराणा प्रताप की तरह सभी जातियों और धर्मों को साथ लेकर चलते हैं। इसी तरह, बीजेपी नेता और मंत्री नीरज कुमार बबलू ने भी राजपूत समाज के साथ अपनी मजबूती को दोहराने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया। बीजेपी मंत्री संतोष सिंह ने तो सीधे तौर पर आरजेडी पर राजपूत समाज को ठगने का आरोप लगाया और जगदानंद सिंह को एनडीए में शामिल होने का न्योता दिया। राजपूत समाज के प्रति एनडीए का ‘सम्मान का संदेश’ एनडीए के नेताओं ने सार्वजनिक रूप से राजपूत समाज के प्रति अपना सम्मान और आभार व्यक्त किया है। जेडीयू एमएलसी संजय सिंह ने कहा, “राजपूत समाज शुरू से ही एनडीए के साथ रहा है और आगे भी रहेगा क्योंकि एनडीए ने हमेशा उन्हें सम्मान दिया है।” यह संदेश राजपूत समुदाय के मनोबल को बढ़ाने और उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास है। राजनीतिक समीकरण: 2024 से सबक, 2025 की तैयारी 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को राजपूत वोटरों की नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ा। इस दौरान पवन सिंह जैसे नेता को उनकी पसंदीदा सीट से टिकट नहीं मिलने के कारण समुदाय में असंतोष देखा गया। एनडीए यह सुनिश्चित करना चाहता है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में ऐसी स्थिति दोबारा न हो। एनडीए का ‘मिशन राजपूत’ अभियान न केवल वोटरों को जोड़ने की कवायद है, बल्कि आरजेडी के भीतर की कमजोरियों का फायदा उठाने की रणनीति भी है। आरजेडी के पास वर्तमान में राजपूत समुदाय को प्रतिनिधित्व देने के लिए कोई बड़ा चेहरा नहीं है। इस कमी को एनडीए अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर रहा है। राजपूत वोटरों का प्रभाव और आगामी चुनाव राजपूत समुदाय की छोटी आबादी होने के बावजूद यह कई क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभाता है। काराकाट, बक्सर, आरा और औरंगाबाद जैसी सीटें इसका प्रमुख उदाहरण हैं। एनडीए यह समझता है कि इस समुदाय को साधे बिना 2025 के चुनावों में बड़ी जीत मुश्किल हो सकती है। निष्कर्ष बिहार की राजनीति जातीय समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती है। एनडीए का ‘मिशन राजपूत’ अभियान इसी राजनीति का हिस्सा है। 2025 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए एनडीए ने राजपूत वोटरों को साधने की कोशिशें तेज कर दी हैं। आरजेडी में जगदानंद सिंह की स्थिति ने एनडीए को एक अवसर प्रदान किया है। इस मौके का लाभ उठाकर एनडीए अपने परंपरागत वोट बैंक को फिर से मजबूत करना चाहता है। राजपूत वोटरों को लेकर एनडीए की सक्रियता यह साबित करती है कि बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा महत्वपूर्ण रहेंगे। आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि एनडीए की यह रणनीति कितना प्रभाव डालती है और क्या राजपूत वोटर फिर से एनडीए के पक्ष में मजबूती से खड़े होंगे।

बिहार की राजनीति: 2024 से सबक और 2025 के मिशन में ‘R’ पर फोकस, NDA का राजपूत वोटरों पर बड़ा दांव
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ज़ोमैटो शेयर प्रदर्शन और व्यवसाय का अवलोकन: एक व्यापक विश्लेषण

ज़ोमैटो, जो भारत के तेजी से बढ़ते फूड टेक सेक्टर में एक अग्रणी ऑनलाइन फूड डिलीवरी और रेस्टोरेंट एग्रीगेटर प्लेटफ़ॉर्म है, ने वर्षों से लचीलापन और अनुकूलनशीलता का प्रदर्शन किया है। कंपनी ने तकनीकी प्रगति और उपभोक्ताओं की बदलती प्राथमिकताओं का लाभ उठाते हुए एक मजबूत स्थिति बनाई है। यह लेख ज़ोमैटो के हाल के शेयर प्रदर्शन, वित्तीय परिणामों, व्यावसायिक रणनीति और प्रतिस्पर्धी परिदृश्य में इसे मिलने वाली चुनौतियों का विश्लेषण करता है। ज़ोमैटो शेयर प्रदर्शन20 जनवरी 2025 तक, ज़ोमैटो लिमिटेड का शेयर ₹253.05 प्रति शेयर पर ट्रेड कर रहा है, जो पिछले 24 घंटों में 2.85% की वृद्धि को दर्शाता है। यह वृद्धि व्यापक बाजार अस्थिरता के बावजूद निवेशकों के विश्वास को प्रदर्शित करती है। यह सकारात्मकता ज़ोमैटो की सेवाओं के विस्तार और बदलते बाजार के अनुरूप अनुकूलन के प्रयासों से समर्थित है। पिछले वर्ष में ज़ोमैटो के शेयर ने उल्लेखनीय उतार-चढ़ाव देखे हैं। मैक्रोइकोनॉमिक परिस्थितियां, प्रतिस्पर्धात्मक दबाव, और कंपनी-विशिष्ट विकास जैसे कारकों ने इसके प्रदर्शन को प्रभावित किया है। विशेष रूप से, ज़ोमैटो का अपने त्वरित वाणिज्य प्लेटफ़ॉर्म ब्लिंकिट के विस्तार का निर्णय एक विकास चालक और वित्तीय दबाव का स्रोत दोनों रहा है। वित्तीय प्रदर्शनवित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में, ज़ोमैटो ने ₹590 मिलियन का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के ₹1.38 बिलियन से 57% की गिरावट को दर्शाता है। यह गिरावट मुख्य रूप से ब्लिंकिट के लिए पूर्ति केंद्रों में बढ़े हुए निवेश के कारण हुई है, जो तेजी से बढ़ते त्वरित वाणिज्य क्षेत्र का लाभ उठाने का प्रयास करता है। लाभ में गिरावट के बावजूद, ज़ोमैटो की राजस्व वृद्धि 64% बढ़कर ₹54.05 बिलियन हो गई। हालांकि, यह आंकड़ा विश्लेषकों की अपेक्षाओं से थोड़ा कम रहा। फूड डिलीवरी सेगमेंट, जो ज़ोमैटो के व्यवसाय का एक मुख्य घटक है, में 22% की राजस्व वृद्धि देखी गई, जबकि ब्लिंकिट का राजस्व दोगुना से अधिक हो गया, जो त्वरित वाणिज्य सेवाओं की मजबूत मांग को दर्शाता है। व्यवसाय रणनीतिज़ोमैटो का प्रबंधन अपने फूड डिलीवरी व्यवसाय को अगले पांच वर्षों में वार्षिक 30% की दर से बढ़ने की उम्मीद करता है। इसे हासिल करने के लिए, कंपनी कई प्रमुख पहलों पर ध्यान केंद्रित कर रही है: प्रतिस्पर्धी परिदृश्यज़ोमैटो एक अत्यधिक प्रतिस्पर्धी वातावरण में काम करता है, जहां स्विगी उसका मुख्य प्रतिद्वंद्वी है। स्विगी का हालिया आईपीओ, जो लगभग $12 बिलियन का मूल्यांकन करता है, फूड डिलीवरी और त्वरित वाणिज्य क्षेत्रों में बढ़ती निवेशक रुचि को दर्शाता है। वर्तमान में, ज़ोमैटो भारत के फूड डिलीवरी क्षेत्र में 58% बाजार हिस्सेदारी रखता है, जबकि स्विगी के पास 34% है। यह नेतृत्व स्थिति ज़ोमैटो की मजबूत परिचालन रणनीतियों और ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण का प्रमाण है। हालांकि, इस बढ़त को बनाए रखने के लिए प्रौद्योगिकी, विपणन, और बुनियादी ढांचे में निरंतर निवेश की आवश्यकता है। नियमाकीय चुनौतियांदिसंबर 2024 में, ज़ोमैटो को एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा, जब भारत के कर विभाग ने कंपनी को ₹8.04 बिलियन कर और जुर्माने का भुगतान करने का आदेश दिया। यह मुद्दा 2019 से 2022 के बीच डिलीवरी पार्टनर्स की ओर से वसूले गए डिलीवरी शुल्क पर करों के कथित रूप से भुगतान न किए जाने से संबंधित था। भविष्य की दृष्टिचुनौतियों के बावजूद, ज़ोमैटो भारत के फूड टेक बाजार का लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है। कंपनी की रणनीतिक प्राथमिकता प्रौद्योगिकी, ग्राहक संतुष्टि, और परिचालन दक्षता पर केंद्रित है। निष्कर्षज़ोमैटो की यात्रा भारत के फूड टेक सेक्टर की गतिशीलता का उदाहरण है। चुनौतियों को पार करते हुए और अवसरों का लाभ उठाते हुए, कंपनी ऑनलाइन फूड डिलीवरी और त्वरित वाणिज्य के भविष्य को आकार देती रहती है।

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