मोदी सरकार ने रमजान के पवित्र महीने में “सौग़ात-ए-मोदी” योजना के अन्तर्गत लगभग 32,000 मस्जिदों के माध्यम से रमजान किट बाँटने सौम्य कदम उठाया है। यह योजना उस हिन्दू मन की सहज अभिव्यक्ति है, जो प्रजा को अपना परिवार मानता है। हिन्दू संस्कारों की गहराई में बसा है यह विश्वास कि राजा का कर्तव्य केवल शासन करना नहीं, बल्कि हर दिल तक पहुँचना है, चाहे वह किसी भी आस्था को मानने वाला हो। “वसुधैव कुटुम्बकम्”-यह विश्व एक परिवार है, का यह संदेश हिन्दू धर्म की आत्मा से निकला है, और मोदी जी इस योजना के माध्यम से इसे साकार कर रहे हैं। यह हिन्दू संस्कारों की वह उदारता है, जो भेदभाव को कभी स्वीकार नहीं करती, बल्कि हर प्राणी को एक समान नज़रों से देखती है। करुणामयी हिन्दू मन की यह विशालता और उदारता दर्शाता है। यह मोदी जी के स्वाभाविक हिन्दू मन और संस्कारों का सहज प्रवाह है।
हिन्दू धर्म का इतिहास इस सत्य का साक्षी है। प्रभु श्रीराम ने जब रावण पर विजय प्राप्त की, तो उनके हृदय में घृणा का भाव नहीं था; उन्होंने विभीषण को न केवल शरण दी, बल्कि उसे सम्मान के साथ लंका का सिंहासन सौंपा। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में उपदेश दिया, “सर्वभूतहिते रताः”—सच्चा धर्म वही जो सभी के कल्याण में लगा हो। कंस जैसे अत्याचारी को भी उन्होंने सुधरने का अवसर दिया, क्योंकि हिन्दू संस्कार विरोधी को भी अपनेपन से जोड़ने की प्रेरणा देते हैं। महाराजा अशोक ने युद्ध छोड़कर प्रजा की सेवा को चुना, छत्रपति शिवाजी महाराज ने मुग़लों से लड़ते हुए भी युद्ध बंधी मुस्लिम सैनिकों की आस्था का सदा सम्मान किया। स्वामी विवेकानंद ने विश्व मंच पर गर्व से कहा कि हमारा धर्म सहिष्णुता और स्वीकृति का पाठ पढ़ाता है। यह हिन्दू संस्कारों की वह ऊँचाई है, जो कभी किसी को पराया नहीं मानती। मोदी जी का यह कदम उसी परंपरा का एक और स्वर्णिम पन्ना है—जहाँ रमजान के महीने में अपने मुस्लिम भाइयों-बहनों के साथ खुशियाँ बाँटना एक स्वाभाविक हिन्दू कर्तव्य बन जाता है।
इसके विपरीत, कांग्रेस और अन्य दलों ने वर्षों तक जो नीति अपनाई, वह हिन्दू संस्कारों की इस पवित्रता से कोसों दूर थी। अपने को पंथनिरपेक्ष दिखाने के नाम पर उन्होंने हिन्दुओं को नीचा दिखाया, उनकी भावनाओं को कुचला, और मुसलमानों को केवल वोट बैंक बनाकर रखा। 1986 में शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैंसले के विरुद्ध जाकर कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए मुस्लिम महिलाओं का हक़ दबाया गया। यह कोरा तुष्टिकरण था, शर्मनिरपेक्षता थी। कांग्रेस की नीतियों ने सदा समाज में दरारें पैदा कीं, मुस्लिम समुदाय को मुख्यधारा से अलग-थलग रखा। लेकिन मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने इस दोगलेपन को ख़त्म किया। ट्रिपल तलाक कानून से मुस्लिम महिलाओं को सम्मान मिला, उज्ज्वला योजना से हर घर में चूल्हा जला, और अब रमजान किट के साथ यह संदेश दिया कि मुसलमान इस देश की मुख्यधारा का अभिन्न हिस्सा हैं। यह कोई उपकार नहीं, बल्कि हिन्दू मन का वह सहज भाव है, जो हर नागरिक को साथ लेकर चलना चाहता है। यह तो बस उस हिन्दू संस्कार का प्रतीक है, जो हर पर्व को सबके साथ मिलकर मनाने में विश्वास रखता है। यह हिन्दू बल की वह शक्ति है, जो न झुकती है, न किसी को नीचा दिखाती है, बल्कि सबको अपने आलिंगन में लेती है।
मोदी जी ने दिखाया कि सच्चा शासक वही, जो प्रजा के हर रंग को अपनाए, हर आस्था का सम्मान करे। “सौग़ात-ए-मोदी” केवल एक योजना नहीं, बल्कि हिन्दू संस्कारों का वह जीवंत प्रमाण है, जो सहअस्तित्व और मानवता का संदेश देता है। यह योजना हिन्दू धर्म के उस प्राचीन मंत्र को दोहराती है—“सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः”—सब सुखी हों, सब स्वस्थ हों। यहाँ कोई तुष्टिकरण नहीं, केवल हिन्दू मन की वह विशालता है, जो अपने नागरिकों को एक परिवार की तरह देखती है। यह न तो शोर मचाने वाली घोषणा है और न ही किसी समुदाय को रिझाने का ढोंग है, बल्कि इस योजना में श्रीराम की करुणा, श्रीकृष्ण की उदारता, संतों की एकता और सम्राटों की सेवा का संगम है। जहाँ कांग्रेस ने तुष्टिकरण से समाज को बाँटा, वहीं मोदी जी ने अपने हिन्दू संस्कारों से उसे जोड़ा। हर रमजान किट के साथ यह संदेश गूँजता है कि हम सब एक हैं—और यह एकता ही हिन्दू संस्कारों की सबसे बड़ी ताकत है। मोदी जी ने हिन्दू धर्म की उस अमर परंपरा को साकार किया, जो प्रेम, सम्मान और सहयोग से विश्व को एक परिवार बनाती है।