ishantimes

Upcoming Games

Follow Us On

लोकतांत्रिक व्यवस्था को सशक्त बनाने में मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण: हरविंदर कल्याण

हरियाणा विधानसभा द्वारा मीडिया कर्मियों के लिए आयोजित की गई प्रशिक्षण कार्यशाला

चंडीगढ़, 12 अगस्त ( संजय राय,ईशान टाइम्स)– हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था को सशक्त बनाने में मीडिया की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। विधानसभा में जनता की भावनाओं को लेकर चर्चा होती है और समाधान का प्रयत्न किया जाता है उन्हें कानून का रूप दिया जाता है। मीडिया इस प्रक्रिया में जनता व विधानमंडल के बीच सेतू का कार्य करता है और इसका संवैधानिक रूप से भी संबंध है

विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण हरियाणा निवास चंडीगढ़ में मीडिया कर्मियों के लिए आयोजित की गई प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद अपना सम्बोधन दे रहे थे। उन्होंने कार्यशाला का उद्घाटन दीप प्रज्वलन करके किया।

हरियाणा विधानसभा की तरफ से आयोजित कार्यशाला में मीडिया कर्मियों को विधानसभा की कार्रवाई से सम्बंधित बारीकियों के बारे बताया गया।

विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण ने कहा कि सीखने की कोई सीमा नहीं होती। चाहे हम कितनी भी ऊँचाइयों पर पहुंच जाएं, सुधार और सीखने की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला मात्र औपचारिकता नहीं, बल्कि इसका उद्देश्य देश और प्रदेश की प्रगति में मीडिया की सक्रिय एवं रचनात्मक भागीदारी सुनिश्चित करना है

उन्होंने नीति निर्माण, बजट समीक्षा और जनहित के मुद्दों पर चर्चा जैसे लोकतंत्र के महत्वपूर्ण पहलुओं की निष्पक्ष एवं जिम्मेदारी के साथ रिपोर्टिंग को मीडिया का दायित्व बताया। साथ ही, तथ्यों की शुद्धता, शब्दों की मर्यादा और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने पर बल देते हुए कहा कि समाज को सही दिशा देने में मीडिया की जिम्मेदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कल्याण ने कहा कि इस कार्यशाला में मीडिया प्रतिनिधियों को विभिन्न तकनीकी पहलुओं, संसदीय परंपराओं, विधायी प्रक्रियाओं और डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग पर विस्तृत प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने “वन नेशन, वन लेजिस्लेचर” की अवधारणा और हरियाणा विधानसभा के डिजिटल ट्रांजिशन के आज प्रयासों का उल्लेख करते हुए 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में मीडिया की अहम भूमिका पर जोर दिया।

कार्यशाला में अपने विचार रखते हुए हरियाणा की पूर्व मुख्य सचिव एवं सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी श्रीमती केशनी आनंद अरोड़ा ने मौलिकता पर कहा कि जीवन में स्पष्ट लक्ष्य का होना अनिवार्य है। जिसके पास कोई लक्ष्य न हो, तो वह दिशा-विहीन जहाज की तरह है। उन्होंने कर्मशीलता, सकारात्मक सोच और आत्मिक प्रसन्नता को सफलता की कुंजी बताया। साथ ही, प्राथमिकताएं तय करने, संतुलित दृष्टिकोण अपनाने और हर परिस्थिति में सर्वोत्तम सोच बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया। इस दौरान उन्होंने अपने कार्यकाल के कई अनुभव उदाहरण के रूप में बताते हुए कहा कि कैसे परिस्थितियों ने उन्हें ग्राउंड पर काम करने का मौका दिया और हम अपनी सकारात्मक सोच से कैसे आगे बढ़ सकते हैं। श्रीमती केशनी आनंद अरोड़ा ने कहा कि मीडिया के सामने कई प्रकार के चैलेंजिज हैं, लेकिन इन परिस्थितियों से पार हम सकारात्मक सोच के जरिये पार पा सकते हैं।

कार्यशाला में पीआरएस लेजिस्लेचर रिसर्च के चक्षु राय और यशिका केडिया ने उपस्थित मीडिया कर्मियों के समक्ष संसद एवं विधानसभा की कार्रवाई की कवरेज के दौरान ध्यान रखे जाने वाले विभिन्न पहलुओं के बारे में अपनी बात रखी। पीआरएस लेजिस्लेचर रिसर्च के चक्षु राय ने विधायिका के विशेषाधिकार की बारीकियों को सांझा किया। उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान अगर अध्यक्ष किसी बात को या विषय को सत्र की कार्रवाई से हटा देते हैं, तो वो कवर होना एक तरह से विशेषाधिकार का उल्लंघन है। इसी प्रकार से सत्र के पटल पर आने से पहले अगर कोई डॉक्यूमेंट इत्यादि पब्लिश होता है तो वो भी इसी में आएगा। उन्होंने कहा कि सत्र की कवरेज के लिए आने वाले मीडिया कर्मियों को कई पहलुओं को ध्यान रखना चाहिए, ताकि सत्र में होने वाले विभिन्न पहलुओं से जनता भी रूबरू हो सके।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में मीडिया से जुड़े विषयों को लेकर वक्ता एवं पंजाब विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक डॉ गुरमीत सिंह ने कहा कि मीडिया कर्मी को अपनी सीमाओं को समझना होगा, हमें अपना काम ईमानदारी से और निष्पक्षता से करना होगा। उन्होंने प्रेस ब्रीफिंग का जिक्र करते हुए कहा कि यह रिले रेस की तरह होनी चाहिए। डॉ गुरमीत सिंह ने कहा कि विधायिका की रिपोर्टिंग के लिये हमें पुराने दस्तावेजों का भी अध्ययन कर लेना चाहिए, ताकि तकनीकी तौर पर हम मजबूत हो सके।

वहीं, वरिष्ठ पत्रकार एवं दैनिक ट्रिब्यून के संपादक नरेश कौशल ने कहा कि मीडिया की भूमिका बहुआयामी है। जिस प्रकार से ड्राईविंग करते वक्त यातायात के नियमों के पालन करते हैं, उसी प्रकार से कलम अथवा कीबोर्ड वाला स्टेयरिंग पकड़ने वाले को तथ्यों को ध्यान में रखना होगा। समाज में शांति सौहार्द की भावना बरकरार रहे, उन्होंने कैमरे की भूमिका का जिक्र किया और कहा कि जैसे जो रिकॉर्ड होता हैं वो दिखता हैं ऐसे ही पत्रकार के लिए भी नियम होते है।

प्रशिक्षण कार्यशाला में वरिष्ठ पत्रकार एवं हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के निदेशक डॉ चन्द्र त्रिखा ने कहा कि मीडिया के बदलते परिवेश में विश्वसनीयता ही सबसे बड़ा एथिक्स है। डिजिटल मीडिया के इस दौर में प्रस्तुति की भाषा, प्रस्तुति का तरीका सब बदल रहा है, लेकिन हमें हमेशा हमारे सिद्धान्तों को जरूर ध्यान में रखना है। हमें सन्तुलन नहीं खोना चाहिए। उन्होंने 1965 में रिपोर्टिंग का सिलसिला शुरू किया था, बातचीत में अपने अनुभवों के साथ साथ विधानसभा सत्र के अनुभवों को भी सांझा किया। डॉ चन्द्र त्रिखा ने कहा कि वर्तमान में एआई की भूमिका के बढ़ते दौर में हमें समझना होगा कि किस प्रकार से विश्वसनीयता को बरकरार रखना है।

कार्यक्रम के अंत में उपस्थित पत्रकारों के सवालों के भी वक्ताओं ने जवाब दिए।

इस दौरान सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की अतिरिक्त निदेशक श्रीमती वर्षा खांगवाल, हरियाणा विधानसभा सचिव राजीव प्रसाद, विधानसभा अध्यक्ष के एडवाइजर राम नारायण यादव सहित बड़ी संख्या में विभिन्न मीडिया संस्थानों के पत्रकार भी उपस्थित रहे।

Scroll to Top