भदोही (यूपी) सुरियावां थाना क्षेत्र के बिंद नगर बाजार में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने राजकुमार बिंद के क्लिनिक की जांच की। नोडल डॉक्टर आशीष दुबे के नेतृत्व में की गई जांच में पता चला कि राजकुमार के पास न तो चिकित्सा की कोई डिग्री है और न ही पंजीकरण।सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) दुर्गागंज के अधीक्षक डॉ. शुभांकर श्रीवास्तव ने सुरियावां थाने में मुकदमा दर्ज कराया
भदोही में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी एक बड़ा कारण है कि लोग इन झोलाछाप डॉक्टरों पर निर्भर हो जाते हैं। जिले में केवल तीन तहसीलें—भदोही, औराई और ज्ञानपुर—और छह विकास खंड हैं, जहां सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी और योग्य डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण लोग इन फर्जी डॉक्टरों के पास जाने को मजबूर हैं। ये झोलाछाप डॉक्टर मरीजों को गलत दवाएं, अनावश्यक इंजेक्शन और ग्लूकोज की बोतलें लगाकर उनकी सेहत को खतरे में डालते हैं। कई बार मरीजों की स्थिति बिगड़ने पर उन्हें बड़े शहरों जैसे वाराणसी या प्रयागराज रेफर कर दिया जाता है, जिससे मरीजों और उनके परिवारों को आर्थिक और मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।
झोलाछाप डॉक्टर न केवल गलत इलाज करते हैं, बल्कि मनमाने ढंग से मरीजों से मोटी फीस भी वसूलते हैं। दवाइयों को अधिक कीमत पर बेचकर और अनावश्यक जांच करवाकर ये लोग मरीजों की आर्थिक स्थिति को कमजोर करते हैं। उदाहरण के लिए, एक सामान्य बुखार के इलाज के लिए ये लोग सैकड़ों रुपये वसूल सकते हैं, जबकि योग्य डॉक्टर उसी इलाज को कम खर्च में और सुरक्षित तरीके से कर सकते हैं। इसके अलावा, गलत दवाइयों और इंजेक्शनों के कारण मरीजों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं जैसे किडनी की खराबी, लिवर डैमेज या एलर्जी तक हो सकती हैं। भदोही जिले में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की कमी एक और गंभीर समस्या है। अन्य जिलों जैसे धार (मध्य प्रदेश) में प्रशासन ने फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं, जैसे क्लीनिक सील करना और कानूनी कार्रवाई करना। भदोही जिले में झोलाछाप डॉक्टरों की मौजूदगी के पीछे कई सामाजिक और आर्थिक कारण हैं। पहला, जिले की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है, जहां शिक्षा और जागरूकता का स्तर कम है। लोग अक्सर यह नहीं जान पाते कि जिस डॉक्टर के पास वे जा रहे हैं, वह योग्य है या नहीं। दूसरा, सरकारी अस्पतालों में लंबी कतारें, डॉक्टरों की कमी और दवाइयों की अनुपलब्धता लोगों को इन फर्जी डॉक्टरों की ओर धकेलती है। तीसरा, भदोही में कालीन उद्योग के बाद कृषि प्रमुख रोजगार का स्रोत है, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर लोग निजी अस्पतालों का खर्च वहन नहीं कर पाते, जिसके कारण वे सस्ते और आसानी से उपलब्ध झोलाछाप डॉक्टरों पर निर्भर हो जाते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।
स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ नियमित छापेमारी और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। मध्य प्रदेश के धार जिले की तरह निरीक्षण दलों का गठन कर अवैध क्लीनिकों को सील किया जा सकता है।ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए, ताकि वे योग्य और गैर-योग्य डॉक्टरों के बीच अंतर समझ सकें। सरकार को भदोही में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और योग्य डॉक्टरों की संख्या बढ़ानी चाहिए, ताकि लोग इन फर्जी डॉक्टरों पर निर्भर न रहें। मेडिकल स्टोर्स और क्लीनिकों के लिए सख्त लाइसेंसिंग नियम लागू किए जाएं, ताकि अवैध दवाइयों की बिक्री पर रोक लग सके।स्थानीय लोगों को शिकायत दर्ज करने और फर्जी डॉक्टरों की पहचान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।भदोही जिले में झोलाछाप डॉक्टरों का आतंक एक गंभीर समस्या है, जो न केवल लोगों की सेहत को खतरे में डाल रही है, बल्कि उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति को भी प्रभावित कर रही है। इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और समुदाय मिलकर काम करें। सरकार को चाहिए कि वह इस दिशा में त्वरित और सख्त कदम उठाए, ताकि भदोही के लोग सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त कर सकें। अन्यथा, यह आतंक न केवल लोगों की जान लेता रहेगा, बल्कि जिले की प्रगति को भी बाधित करेगा।

- इंद्र यादव,भदोही,यूपी