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होनहार' दरोगा 30 हजार में बिका, अब जेल में 'फाइनल रिपोर्ट' लगेगी!

उत्तर प्रदेश लखनऊ। अरे दरोगा जी, ये क्या, वर्दी पहनकर ‘डॉन’ बनने चले थे, अब तो ‘जेल की रोटी’ खानी पड़ेगी!” फिल्मी अंदाज में कहें तो, शोले का गब्बर होता तो बोलता, “तुम्हारा नाम क्या है, बसंती! नहीं, कर्मवीर! 30 हजार में बिक गए रे!” लखनऊ की चकाचौंध भरी सड़कों पर, फीनिक्स पलासियो मॉल के गेट नंबर 7 के सामने, एक ‘हीरो’ बनने का सपना देख रहा था अमेठी का सब-इंस्पेक्टर कर्मवीर सिंह। पुराना मुकदमा, फाइनल रिपोर्ट (एफआर) का लालच, और गंगाराम भाईसाहब से 30 हजार की ‘डिमांड’! पहले भी मोटी रकम वसूल चुके थे, लेकिन लालच तो देवदास की तरह थमता नहीं, “एक बार और, एक बार और!” धमकी की स्क्रिप्ट रटी हुई: “जेल भेज दूंगा!” अरे भाई, खुद ही जेल की हवा खाने पहुंच गए! “पैसे दो, केस क्लोज! नहीं तो… जेल की सलाखें गिनो!” ये डायलॉग तो सिंघम का लगता है, लेकिन असल में घूसखोर दरोगा का था। गंगाराम तंग आकर एंटी करप्शन टीम के पास पहुंचे। टीम ने जाल बिछाया , सादे कपड़ों में, कोई शक न हो। दरोगा जी मॉल के सामने आए, पैसे लिए, और… “हाथ ऊपर करो! तुम गिरफ्तार हो!” धूम स्टाइल में छापा! घबराए कर्मवीर कुछ बोल भी न पाए, रकम बरामद, और सीधे जेल की ‘एंट्री’! ये कोई अकेला ‘विलेन’ नहीं। पिछले हफ्ते मऊ का अजय सिंह 20 हजार में पकड़ा गया। प्रतापगढ़, प्रयागराज, वाराणसी (मोदी जी का गढ़!) दर्जनों दरोगा-कॉन्स्टेबल घूस के ‘नेक्सस’ में फंसे। “ये पुलिस नहीं, ‘बिजनेस’ है भाई!” , गैंग्स ऑफ वासेपुर की तरह पूरा डिपार्टमेंट ‘फैमिली बिजनेस’ लगता है। ऊपर से ‘मेहरबानी’, नीचे जांच की कमी , भ्रष्टाचार का सांप विभाग की जड़ों तक फैल चुका। शिकायतें आला अफसरों तक पहुंचती हैं, लेकिन कई को ‘दबाव’ में दबा दिया जाता। “कानून के रखवाले खुद कानून तोड़ें, तो जनता क्या करे!भागे या घूस दे,योगी जी सुधार के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं , जीरो टॉलरेंस, सख्त कार्रवाई! लेकिन जमीन पर! “बड़े-बड़े दावे, छोटे-छोटे रेट! 30 हजार में दरोगा, 20 हजार में कॉन्स्टेबल!” एंटी करप्शन की टीम तो ‘हीरो’ बन रही, रंगे हाथ पकड़कर। लेकिन सवाल वही, कब तक ऐसे ‘होनहार’ वर्दी पर दाग लगाते रहेंगे!जड़ से खात्मा चाहिए ,पारदर्शी जांच, सख्त सजा, और लालच पर ‘फाइनल रिपोर्ट’!”अंत में, दरोगा जी को सबक, लालच बुरी बला है! अगली बार ‘फ्री’ में केस सॉल्व करना, वरना जेल में ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट’ मिलेगा!”, लगे रहो मुन्नाभाई स्टाइल में कहें तो, गांधीगिरी अपनाओ, घूसगिरी छोड़ो! वरना, योगी राज में ‘बिकना’ महंगा पड़ेगा रे बाबा.

  • indra Yadav / Ishan Times
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