गाजीपुर(तीरथ राज राय )।नगर के तहसील परिसर में बीते दिन हुई मारपीट की घटना में दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहे हैं। इस मामले में जहां दारोगा की पत्नी व बेटों का आरोप है कि लेखपाल द्वारा तहसील का गेट बंद करवाकर उन्हें सड़क पर गिराकर पीटा गया, वहीं लेखपाल का आरोप है कि तहसील में घुसकर उक्त लोगों द्वारा मारपीट करने के साथ ही सरकारी दस्तावेज फाड़े गए। इस मामले में लेखपाल ने भी तहरीर दी। वहीं सोमवार को दारोगा की पत्नी ने कोतवाली में जाकर लिखित तहरीर दी। नारायणपुर ककरहीं निवासी महेंद्र यादव यूपी पुलिस में बतौर दारोगा तैनात हैं। उनकी पत्नी ममता यादव ने लिखित तहरीर देते हुए कहा कि वो 18 मई को अपने बेटे के साथ लेखपाल अमित के यहां दाखिल खारिज के लिए दस्तावेज जमा करने गई थी। वहां पर लेखपाल अन्य लेखपालों संग बैठे थे। आरोप लगाया कि दस्तावेज देखने के एवज में लेखपाल अमित द्वारा रूपयों की मांग की गई, जबकि मेरे द्वारा 5 हजार रूपए दिए जा रहे थे। लेकिन लेखपाल द्वारा 50 हजार रूपए मांगे जाने लगे। इसके बाद ममता ने अभद्रता करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब बेटे ने रोका तो लेखपाल द्वारा गाली दी गई और विरोध करने पर पहले हेलमेट से और फिर अन्य लेखपालों द्वारा महिला व उसके बेटे को डंडे से मारापीटा गया। महिला ने लिखित आरोप लगाया कि उससे मंगलसूत्र, चेन, उसकी व उसके बेटे की मोबाइल भी छीन ली। बताया कि उनके साथ अपने निजी कार्य के लिए एक नाबालिग लड़का भी था, उसे भी उन्होंने बुरी तरह से मारा पीटा और उसकी भी मोबाइल छीन ली गई। बताया कि वहां मौजूद वकीलों ने किसी तरह से उसे बचाया। कोतवाली में तहरीर देते समय महिला के पति व दारोगा भी पहुंचे। वहीं इस मामले में लेखपाल ने आरोप लगाया कि नारायणपुर ककरहीं निवासी पीयूष यादव अपनी मां व दो अन्य लोग पहुंचे और कागज दिखाकर खतौनी में नाम दर्ज करने को कहा। जिस पर मैंने कहा कि खतौनी में वसीयत के आधार पर सक्षम न्यायालय में वसीयतनामा दाखिलकर दर्ज कराया जा सकता है। जिस पर वो दबाव डालने लगे। मना करने पर मारपीट पर आमादा हो गए और जातिसूचक गालियां देकर जान से मारने की धमकी देने लगे। इसके बाद मेरे मेज पर रखे गए खसरा व अन्य सरकारी कागजों को फाड़ दिया। रोकने पर खुद को दारोगा का बेटा बताते हुए मुझे पीटने लगे और धमकी देते हुए फरार हो गए। इस बाबत सोमवार को एक पक्ष की ममता के कोतवाली पहुंचने के बाद दूसरे पक्ष के लेखपाल को भी बुलाया गया था। कोतवाल महेंद्र सिंह ने बताया कि दूसरे पक्ष को बुलाया गया था लेकिन वो नहीं पहुंचे।
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