संजय शेरपुरिया हुए राजनीति के शिकार

संजय राय शेरपुरिया के ख़िलाफ़ दर्ज एफआईआर में कोई शिकायतकर्ता नहीं है। पुलिस वालों ने ख़ुद ही एफआईआर दर्ज कराई है। सारी कही सुनी बातों को दर्ज किया गया है। थोड़े नगद रुपये थोड़ी शराब थोड़े आधार कार्ड थोड़े धंधा पानी के मैसेज बस…. ये भी भला कोई अपराध हुआ।
इससे बड़े बड़े पापी बीजेपी में बड़े बड़े पदों को सुशोभित कर रहे हैं. ऐसा लगता है बीजेपी यूपी की गुटबाजी में संजय शेरपुरिया को निपटाया गया है। ग़ाज़ीपुर ज़िले की भूमिहार लॉबी और बाबा की ठाकुर लॉबी में छत्तीस का आँकड़ा रहता है। पॉवर में बाबा की ठाकुर लॉबी है इसलिए पुलिस का मनमाफ़िक़ उपयोग कर लिया जाता है।

वहीं कुछ लोगों का कहना है कि कश्मीर के इशारे पर शेरपुरिया का शिकार किया गया। संजय भूमिहार नेता के रूप में ख़ुद को स्थापित कर रहे थे। ग़ाज़ीपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी थी। इसके लिए ग्राउंड पर संजय ने काफ़ी पैसा खर्च किया था। बीजेपी में ग़ाज़ीपुर जिले के मामले में सारे फ़ैसले इन दिनों कश्मीर के इशारे पर होते हैं। लॉट साहब की ग़ाज़ीपुर के छोटे से छोटे मामलों में भी खूब रुचि और दखल रहता है। उन्हें नापसंद था कि उनके इलाक़े में कोई दूसरा सजातीय नेता पनप जाए। तो संजय शेरपुरिया को निपटाने की पूरी तैयारी की गई।

इस मामले में जितने मुँह उतनी बातें हो रही हैं। एसटीएफ़ ने पकड़ लिया है तो अब आगे कई शिकायतकर्ता भी मिल ही जाएँगे और नये नये केस आरोप भी लग जाएँगे। पुलिस कैसे तिल का ताड़ बनाती है, ये सबको पता है।

एफआईआर में डालमिया के अकाउंट से पैसा आया दिखाया जा रहा है। भाई डालमिया ने तो अपनी एनजीओ से इनकी एनजीओ को पैसे दिये। डालमिया इस बारे में कोई शिकायत भी कर नहीं रहा है। तो फिर अपराध ये कैसे हो गया?

ये एफआईआर पढ़ कर समझ आता है कि संजय शेरपुरिया के ख़िलाफ़ बताने के लिए पुलिस के पास फिलहाल कुछ नहीं है। ऐसा लगता है कि ये व्यक्तिगत ख़ुन्नस में गिरफ़्तारी की गई है।अब यहाँ पर गाजीपुर के भूमिहारों के ऊपर दोहरा संकट है। प्रदेश के मुख्यमंत्री उनको इसलिए नहीं मानते कि मनोज सिन्हा के खेमे के हैं और मनोज सिन्हा इसलिए नहीं मानते कि यह मेरी जगह नेता बन जाएंगे.. जाति से भूमिहार हो, राजनीति पूर्वांचल में करोगे तो इन सब चीजों को तो झेलना पड़ेगा ही.. वरना बताइए खाता न बही जो एसटीएफ कहे वही सही… ना कोई शिकायतकर्ता ना कोई अपराध, बस अकाउंट में पैसा आया और एसटीएफ ने एक दारू की बोतल दो गिलास समेत ट्रेन में से उठा लिया.. और यह भी सब हुआ कुछ ही घंटों के अंदर.. और एक नामचीन व्यक्ति की 5 साल की मेहनत पर धब्बा लग गया कि वह करोड़ों की ठगी करता है. पुलिस के पास अभी तक ऐसी कोई शिकायत नहीं है जिसमें यह बताया गया हो कि संजय राय ने किसी भी नेता की फोटो को दिखाकर या उनसे संबंध को बता कर किसी व्यक्ति से ठगी की हो।”

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