
उत्तर प्रदेश शशशश…“पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त…मगर ये तो असली वाला ड्रामा है, भाई! फर्रुखाबाद की कोतवाली फतेहगढ़ में एक सिपाही ने शिकायत की, और लखनऊ से एंटीकरप्शन की टीम हेलिकॉप्टर नहीं, पर स्कॉर्पियो में धड़धड़ाती हुई आई , सीधे पकड़ लिया SP ऑफिस के अकाउंटेंट हरेन्द्र सिंह चौहान को!हीरो बना सिपाही, विलेन गिरफ्तार!अरे, ये तो पूरा मुंबईया मसाला है ,बैठा अकाउंटेंट साहब, पुलिसवालों से ही रिश्वत ले रहा था! मतलब, “अपनों का खून चूसने वाला ड्रैकुला भी शरमा जाए!” सिपाही ने कहा “साब, मेरी तनख्वाह में से भी कटौती हो रही थी!” और बस, एंटीकरप्शन की टीम ने चौहान साहब को पकड़कर बोला “तू तो गया काम से, अब जेल की सलाखों में गिनती कर रिश्वत की!”
डायलॉग मार दो भाई! “ये पुलिस की चौकी नहीं, अकाउंटेंट की दुकान थी , जहाँ बिल बनता था, पर पेमेंट रिश्वत में! अब देखो, सिपाही बना हीरो, चौहान साहब बन गए जीरो। और लखनऊ की टीम! वो तो “खाकी के खिलाफ खाकी” वाली स्टाइल में चली गई , सायरन बजाते, धूल उड़ाते! मोरल ऑफ द स्टोरी!
“रिश्वत लेगा तो यही होगा… पुलिस भी पकड़ेगी, जनता भी थप्पड़ मारेगी!” अगली खबर तक, “पिक्चर अभी बाकी है…”पर उम्मीद है, अगली बार कोई हीरो बने, न कि कोई अकाउंटेंट विलेन!
- indra Yadav / Ishan Times



