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गाजीपुर के पूर्व विधायक अवधेश राय शास्‍त्री के निधन से छाई शोक की लहर

गाजीपुर के पूर्व विधायक अवधेश राय शास्‍त्री के निधन पर रुक नहीं रहा मातम
कल होगा उनका अंतिम संस्कार
लोगों का कहना है कि कभी अवधेश को नेहरू जी ने गोद लेकर दुलारा था
आज अँग्रेजी हुकूमत से लड़ने वाले शहीद परिवार का अंतिम योद्धा भी चला गया


गाजीपुर शहीद पुत्र व कांग्रेस के पूर्व विधायक अवधेश राय शास्‍त्री का निधन आज मंगलवार को दोपहर एक बजे उनके निवास स्‍थान इंद्रपुरी कालोनी शास्‍त्रीनगर लंका गाजीपुर में हो गया। उनके निधन के खबर से उनके शुभचिंतकों और कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गयी। उनके निधन की खबर सुनकर बड़ी संख्‍या में कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता उनके घर पहुंच रहे हैं। यह जानकारी उनके पुत्र एडो. राजेश राय ने दी है। उन्‍होने बताया कि उनका अंतिम संस्‍कार बुद्धवार 24 सितंबर को गाजीपुर के श्‍मशान घाट पर सुबह में किया जायेगा। कांग्रेस पार्टी के वरिष्‍ठ नेता रविकांत राय ने उनके निधन पर शोक व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि अवधेश राय शास्त्री 1984 से 1989 तक दिलदारनगर विधानसभा से कांग्रेस पार्टी के विधायक रहे। वह एक ईमानदार और कर्मठ नेता थे। अवधेश राय शास्‍त्री ने आजीवन कार्यकर्ताओं के हक की लड़ाई लड़ी।
जवाहर लाल नेहरू ने दो माह के शहीद पुत्र अवधेश राय शास्‍त्री को गोद में लेकर की थी भविष्‍यवाणी
आज़ादी के बाद भारत के प्रधानमंत्री बने जवाहर लाल नेहरू ने दो माह के शहीद पुत्र अवधेश राय शास्‍त्री को गोद में लेकर भविष्यवाणी की थी. उन्हें अपनी गोद में उठाकर उन्‍हे पुचकारते हुए शेरपुर में कहा था कि शेरपुर के जो आठ लोग शहीद हुए है अगर यह 18 अगस्‍त 1942 को मुहम्‍मदाबाद तहसील पर शहीद नही होते तो आजादी विधवा बनकर रह जाती और यह बच्‍चा शहीदो का नाम रोशन करेगा। नेहरू जी का यह वाक्‍य आगे चलकर शत-प्रतिशत सही हुए। अवधेश राय शास्‍त्री ने जीवनपर्यत्‍न अपने ईमानदारी और नीति सिद्धांत से समझौता नही किया और अष्‍ट शहीदो का नाम कभी भी झुकने नही दिया। 18 अगस्‍त 1942 को मुहम्‍मदाबाद तहसील मुख्‍यालय पर अंग्रेजो का झंडा लहरा रहा था, पूरे देश में क्रांति की ज्‍वाल धधक रही थी, हर तरफ अंग्रेजो भारत छोड़ो का नारा लग रहा था, ऐसे वातावरण शिवपूजन राय के नेतृत्‍व में शेरपुर के आठ भारत माता के वीर सपूत तहसील मुख्‍यालय पर लगा अंग्रेजो का झंडा उतारकर भारत का तिरंगा लहराने के लिए लगाने लगें तभी अंग्रेज सिपाहियो ने गोलियां चलानी शुरू कर दी, एक के बाद एक आठ वीर सपूत शहीद हो गये लेकिन भारत मां का झंडा नीचे गिरने नही दिया। इन शहीदो में अवधेश राय शास्‍त्री के पिता नारायण राय भी थे। इस दुखद घटना की खबर जवाहर लाल नेहरू को लगी तो वह तुरंत शेरपुर आये और शहीद परिवारो से मिलें। उस समय में अवधेश राय शास्‍त्री केवल दो माह के थे। नेहरू जी ने उनको गोदी में उठाकर उनकी भविष्‍यवाणी की थी कि शहीदो को नाम यह बच्‍चा रोशन करेगा। तत्‍कालीन कांग्रेस के राष्‍ट्रीय महासचिव स्‍व. राजीव गांधी का कार्यक्रम मुहम्‍मदाबाद शहीद पार्क में था जब राजीव गांधी ने वहां पर आठ शहीदो के कलश को देखा तो इसके बारे में जानकारी प्राप्‍त की। उन्‍होने कहा कि शहीद के परिवार से किसी लड़के का नाम भेजिए पार्टी एमएलए का टिकट देगी। इसके बाद तत्‍कालीन प्रदेश अध्‍यक्ष बीपी सिंह ने अष्‍ट शहीद को आधार मानकर अवधेश राय शास्‍त्री को टिकट दिया और वह दिलदारनगर विधानसभा से विधायक बनें। अवधेश राय शास्‍त्री के निधन पर पूरा गाजीपुर ग़मगीन है l

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