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मैं तो प्रकृति का आशिक हूं, इन महलों में तो मेरा दम घुटता है साहब.

दुनियां की इस मिट्टी से लेकर जल,वायु हर जगह जीवों का बसेरा है,प्रकृति हमारे जीवन का आधार है। यह पेड़-पौधों, नदियों, पहाड़ों और जंगलों के रूप में हमें शुद्ध हवा, पानी और भोजन प्रदान करती है। आधुनिक जीवन में जहां तनाव और भागदौड़ बढ़ती जा रही है, वहीं प्रकृति एक शांतिपूर्ण आश्रय बनकर उभरती है। सुबह की पहली किरण, पक्षियों की चहचहाहट, और हरी-भरी घास का स्पर्श मन को सुकून देता है।
प्रकृति में सुख और शांति का कारण इसका सादगी और संतुलन है। जब हम जंगल में टहलते हैं या नदी के किनारे बैठते हैं, तो हमारा मन अतीत और भविष्य की चिंताओं से मुक्त हो जाता है। वैज्ञानिक शोध भी बताते हैं कि प्रकृति के साथ समय बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। यह हमें तरोताजा कर देती है और सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है।

हालांकि, आज हम प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं। शहरीकरण, प्रदूषण और वनों की कटाई ने इस संतुलन को बिगाड़ दिया है। हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना होगा—पेड़ लगाना, प्लास्टिक का कम इस्तेमाल करना, और प्रकृति के साथ समय बिताना। केवल तभी हम सच्चे सुख और शांति को प्राप्त कर सकते हैं, जो प्रकृति में ही छिपा है।आप कभी शुकुन से प्रकृति पर विचरण करनें वाले जीवों के जीवन को परखकर एहसास करनें की कोशिश तो करें।प्रकृति को संरक्षित करें, क्योंकि यह न केवल हमारी दुनिया है, बल्कि हमारी शांति का भी स्रोत है।

  • इंद्र यादव – स्वतंत्र लेखक,भदोही ( यूपी )
    indrayadavrti@gmail.com
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