राष्ट्रीय शिक्षा नीति से संबंधित दो दिवसीय ज्ञानोत्सव 2023 हुआ मोहाली में

मोहाली (ishantimes): 09.04.2023: शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास पंजाब प्रान्त और रतन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशंस मोहाली के संयुक्त तत्वावधान में 8-9 अप्रैल 2023 को ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति से आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर एक दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यक्रम ‘ज्ञानोत्सव-2023’ का आयोजन रतन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशंस में किया गया. इस कार्यक्रम का पहला दिन स्कूली शिक्षा पर आधारित था, जिसमें पंजाब राज्य के विभिन्न प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों से कुलपतियों, निदेशकों, प्राचार्यों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया। ज्ञानोत्सव 2023 में 8 अप्रैल 2023 को पहले दिन लगभग 600 प्रतिभागियों ने विभिन्न विशेषज्ञों के विचार सुने और सम्बंधित प्रश्न पूछते हुए अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया।

पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा के कुलपति प्रो. राघवेन्द्र प्र. तिवारी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. हरमोहिंदर सिंह बेदी व पूर्व कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री, पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी जालंधर के कुलसचिव डॉ. एस.के. मिश्रा, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के दक्षिण भारत के संयोजक श्री ए विनोद, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के उत्तरी क्षेत्र के संयोजक भाई जगराम जी इस कार्यक्रम के सम्मानित अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए।

प्रो. राघवेन्द्र तिवारी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाने के विभिन्न आयामों पर चर्चा करते हुए ‘कोल्हू के बैल’ के उदाहरण से इस नवीन शिक्षा नीति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा विद्यार्थियो को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से मिलने वाले विकल्पों का लाभ उठाना चाहिए. कार्यक्रम के दूसरे सत्र डॉ कुलदीप चंद अग्निहोत्री मातृभाषा के विकास विषय पर बोलते हुए मातृभाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ मनोज तेवतिया ने पर्यावरण संरक्षण से आत्मनिर्भर भारत पर अपना विचार रखा।

डॉ नित्या शर्मा ने अपने वक्तव्य में अच्छे शिक्षक गुणों की चर्चा की ,जिससे भारत में आत्मनिर्भरता आ सकती है।तीसरे सत्र में छात्र, अध्यापक, प्रिंसिपल, अभिभावक और विभिन्न स्थानों के डायरेक्टर के बीच चर्चा परिचर्चा गई। विषय विशेषज्ञों ने सभी की जिज्ञासाओं का संतोषजनक उत्तर दिया।

अंतिम सत्र में गुर विरजानंद गुरूकुल करतारपुर, सर्वहितकारी स्कूल तलवारा, बी एस एम आर्य स्कूल लुधियाना, अनमोल मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी स्कूल ने अपनी सर्वोत्तम प्रस्तुति के द्वारा नयी शिक्षा नीति 2020 की बारीकियों, आवश्यकताओं को बताया। इस आयोजन में पंजाब और चंडीगढ़ से लगभग 100 स्कूलों के अध्यापक और विद्यार्थियों ने भाग लिया। सक्रिय भागीदारीरों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का दूसरा दिन उच्च शिक्षा को समर्पित रहा, जिसमें हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहते हुए प्रथम सत्र की अध्यक्षता की. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की विस्तृत जानकारी देते हुए देश में इस के उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्रियान्वयन की चर्चा करते हुए हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में इसको लागू किये जाने पर एक प्रस्तुति दी. इस दौरान महाराजा रणजीत सिंह पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी, बठिंडा के कुलपति प्रो. बूटा सिंह ने ‘पारंपरिक/ग्रामीण उद्योग से आत्मनिर्भर भारत’ विषयक प्रस्तुति दी. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जालंधर के निदेशक डॉ. बिनोद कन्नोजिया ने इस कार्यक्रम में ‘समाधान-परक शोध से आत्मनिर्भर भारत’ विषयक एक प्रस्तुति दी. उन्होंने कहा कि हमारे पर उपलब्ध ज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए हम प्रत्येक समस्या का समाधान कर सकते हैं और इसे अवसर में परिवर्तित करते हुए आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर सकते हैं.पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के डीन अकादमिक प्रो. संजय कौशिक ने ‘भारतीय प्रबंधन प्रणाली से आत्मनिर्भर भारत’ विषयक एक मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति दी. उन्होंने बताया कि किस प्रकार अध्यात्मिक एवं मानवीय प्रबंधन प्रणाली से भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है.इसी कड़ी में राष्ट्रीय तकनिकी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान (NITTTR) चंडीगढ़ के निदेशक डॉ. भोला राम गुर्जर ने ‘स्वायत शिक्षा से स्वावलंबी भारत’ विषय पर प्रस्तुति देते हुए कहा कि हमें विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, विद्यालय ही नही बल्कि शिक्षक स्तर पर भी स्वायत होना होगा, जिससे कि शिक्षा के स्तर को हमारी पौराणिक प्रणाली की तरह बनाया जा सके.संत लोंगोवाल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग (स्लाईट) संगरूर के प्रो. आर.के. मिश्रा ने वैदिक गणित के विभिन्न विभिन्न रोचक अनुप्रयोग साझा किए और उन्होंने भारतीय ज्ञान परम्परा पर अपने संस्थान में संचालित सर्वोत्तम प्रथाओं की प्रस्तुति दी.महर्षि बाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय, कैथल (हरियाणा) के कुलपति प्रो. रमेश सी. भरद्वाज ने दूसरे दिन के द्वितीय सत्र में कार्यक्रम की अध्यक्षता की. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अपने विचार साझा करते हुए प्रतिभागियों को मंत्रमुग्ध किया.दूसरे सत्र का मुख्य विषय चर्चा परिचर्चा रहा।

जिसमें विद्यार्थियों, अध्यापकों और अभिभावकों ने अपने प्रश्न पूछा, जिसका विशेषज्ञों ने समाधान किया। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ रमेश भारद्वाज ने की। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी अमृतसर के कुलसचिव डॉ के एस काहलो और चंडीगढ़ मेडिकल कॉलेज के नेत्रचिकित्सा विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार विशेष रूप से कार्यक्रम में उपस्थित हुए।शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा करवाए गए आनलाईन प्रतियोगिता में सफल विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। दो दिनों के कार्यक्रम में 100 से अधिक स्कूल, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय के लगभग 700 विद्यार्थियों और 100 से अधिक अध्यापकों ने भाग लिया।

आये हुए वक्ताओं और महानुभावों को श्रीफल और पौधे देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत न्यास के संयोजक चन्द्र प्रकाश, अध्यक्ष और संचालन समिति ने सभी गणमान्य एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की ओर से रतन ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूट के निदेशक श्री सुन्दर लाल अग्रवाल जी को श्रीफल और पौधे देकर विशेष धन्यवाद किया गया और कार्यक्रम के अंत में आयोजन का समापन राष्ट्र गान से हुआ।

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